जुझौतिया ब्राह्मणों की उत्पत्ति
आर. के. दिक्षित ने अपनी पुस्तक Chandellas Of Jaijakbhukti के पृष्ठ २८ पर जैजाकभुक्ति की उत्पति के बारे में लिखा है कि -"It was chandellas who named it Jaijakbhukati after ancestor Jaijak or Jai Shakati." इसी तथ्य का समर्थन N. S. Bose ने History of Chandellas के पेज १३,१४,१८-२१ पर, S. K. Mitra ने Early Rulers of Khajuraho Page 32 पर किया है। इसके आलावा अन्य कई लेखकों ने भी अपनी किताबों में समर्थन करते हुए चन्देलों ने जैजाक भुक्ति नाम रखा था का उल्लेख किया है। उक्त लेखकों ने चंदेला शासन के दौरान आये विदेशी यात्रीयों अबु रिहान अल-बेरुनी आदि के यात्रा विवरणों को आधार बनाया जिसमें जैजाकभुक्ति का उल्लेख है। चन्देलों ने जैजाकभुक्ति नाम क्यों रखा ? इसका कारण जानने के लिए उन्होंने चंदेलों की बंशावली को देखा और उसमें चंदेला राज्य के संस्थापक धंग के पौत्र का नाम जयशक्ति मिल गया जो जैजाकभुक्ति से मिलता-जुलता था। बस अनुमान के आधार पर घोषणा कर दी कि चंदेलों ने जैजाकभुक्ति नाम रखा। उपरोक्त अनुमान लेखकों की अधूरी खोज का परिणाम है। यदि उन्होंने ६४१ई. में आया चीनी ह्येनसांग का यात्रा विवरण देखा होता तो वे यह उल्लेख नहीं करते। क्यों कि ह्येनसांग के यात्रा विवरण में जैजाकभुक्ति या जुझौतिया प्रदेश का विस्तृत वर्णन है। वह यहाँ २ माह रहा उसने उल्लेख किया कि यहाँ ब्राह्मण राजाओं का राज्य था। इसके आलावा ३३५ ईशा पूर्व के यूनानी लेखकों, तथा स्कन्द पुराण में भी जैजाक भुक्ति का उल्लेख मिलता है, इसमें कांतिपुर(कुटवार) चेदी देश,और मालवा शामिल था।
इतिहास में किसी भी स्थान का नाम जानने के लिए उसके भौगोलिक वर्णन का सहारा लिया जाता है। महाभारत में १० नदियों का वर्णन मिलता है जो इस प्रदेश में बहतीं -१. वेतवा, २. यमुना, ३. चम्बल, ४ धसान, ५. केन, ६६. टौंस, ७. काली सिंध, ८. प्यास्विनॆ ९.नर्मदा और १०. पहुज नदी हैं जो इस भू-भाग में हैं। इस प्रदेश को
१. वैदिक काल में असर पुनीत।
२. महाभारत काल में दशार्ण
३ पौराणिक कॉल में चेदी
४. ईशा पूर्व ६वीं शताब्दी से १६ वीं शताब्दी के मध्य में २२५० वर्षों तक जैजाक भुक्ति।
५. १६ वीं शताब्दी के बाद से बुंदेलखंड कहा जाता है।
प्रारम्भ में जुझौती प्रदेश में निवास करने वालों को जुझौतिया कहा जाता था। लेकिन चन्देलों के शासन काल जुझौती प्रदेश में कई राजाओं के राज्य स्थापित हो गए। वे सब आपस में लड़ते रहते थे और अपने आपको एक दूसरे से श्रेष्ठ समझते थे। यही प्रवृति इन राज्यों में रहने वाले ब्राह्मणों में दिखाई देने लगी। वे अपने आप को दूसरों से श्रेष्ठ समझने लगे। कालांतर में जुझौती प्रदेश में रहने वाले ब्राह्मणों को ही जुझौतिया कहा जाने लगा। / चम्बल और तामस नदी के क्षेत्र में रहने वाले सान्द्रवतिज अर्थात सनाढ्य कनौज के कान्यकुब्ज ,अर्थात जो ब्राह्मण जिस क्षेत्र में रहता था उसे उसी के क्षेत्र के नाम से पुकारा जाने लगा। इस तरह ब्राह्मणों के कई उपवर्ग बन गए, लेकिन मूल रूप में वे सब जुझौतिया ही हैं।
५. १६ वीं शताब्दी के बाद से बुंदेलखंड कहा जाता है।
प्रारम्भ में जुझौती प्रदेश में निवास करने वालों को जुझौतिया कहा जाता था। लेकिन चन्देलों के शासन काल जुझौती प्रदेश में कई राजाओं के राज्य स्थापित हो गए। वे सब आपस में लड़ते रहते थे और अपने आपको एक दूसरे से श्रेष्ठ समझते थे। यही प्रवृति इन राज्यों में रहने वाले ब्राह्मणों में दिखाई देने लगी। वे अपने आप को दूसरों से श्रेष्ठ समझने लगे। कालांतर में जुझौती प्रदेश में रहने वाले ब्राह्मणों को ही जुझौतिया कहा जाने लगा। / चम्बल और तामस नदी के क्षेत्र में रहने वाले सान्द्रवतिज अर्थात सनाढ्य कनौज के कान्यकुब्ज ,अर्थात जो ब्राह्मण जिस क्षेत्र में रहता था उसे उसी के क्षेत्र के नाम से पुकारा जाने लगा। इस तरह ब्राह्मणों के कई उपवर्ग बन गए, लेकिन मूल रूप में वे सब जुझौतिया ही हैं।